हिचकी क्यों आती है?
हिचकी (हिक्का) कोई स्वाभाविक या प्राकृतिक रोग नहीं है, वरन् यह दूसरे रोगों को पैदा करने वाला उपसर्ग है। यह रोग तेज मिर्च, चाट, मसालेदार चीजें खाने, पेट में थोड़ी-सी गड़बड़ी आदि के कारण हो जाता है। ( हिचकी आने के घरेलू इलाज ) यह बच्चों के पेट में वायु इकट्ठी होने के कारण भी होती है।
प्राणघातक बीमारियों की वजह से जब पेट में गैस बनकर रुक जाती है, तो उचित उपचार के अभाव में हिचकी आने लगती है। पाचन यंत्र की खराबी, चिन्ता, शोक, अत्यधिक दुख आदि के कारण भी प्रायः हिचकी आती है।
हिचकी आने के कारण
हिचकी की आवाज गले के बाहर सुनाई देती है। टेंटुए (गले) में कुछ देर के लिए अकड़न या ऐंठन-सी पैदा हो जाती है। बार-बार हिचकी आने के कारण आवाज बैठ जाती है। पानी निगलने में कठिनाई होती है।
हिचकी आने के घरेलू इलाज
10 ग्राम राई को दो कप पानी में उबाल-छानकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी को पिलाएं।
हिचकी आने पर ताजे पानी में 1 चुटकी नमक तथा 1 चुटकी शक्कर मिलाकर घूंट-घूंट पिएं।
पानी में जरा-सा खाने वाला सोडा तथा नीबू निचोड़कर दें।
मोर पंख का भस्म 2 रत्ती की मात्रा में शहद में मिलाकर चटाएं।
3 ग्राम कलौंजी को मक्खन में मिलाकर सेवन करें।
पीपल का चूर्ण 1 चुटकी की मात्रा में शहद के साथ खिलाएं।
अदरक का रस तथा शहद- दोनों मिलाकर चाटें।
कालीमिर्च को आग में जलाकर उसकी राख शहद के साथ सेवन करें।
पुदीने की पत्ती को शक्कर में मिलाकर खिलाएं। लार कंठ के नीचे उतरते ही हिचकी बंद हो जाएगी।
आधा चम्मच सूखा धनिया मुख में रखकर चूसने से हिचकी चली जाती है।
नारियल का पानी पीने से हिचकी जाती रहती है ।
3 ग्राम उपले की गरम राख में एक चम्मच शहद मिलाकर चाटें।
2 रत्ती हींग पानी में घोलकर पीने से हिचकी शान्त हो जाती है।
आधा चम्मच अदरक का रस, दो कालीमिर्च तथा एक चम्मच नीबू का रस – तीनों को घोटकर पिएं।
2 चुटकी गिलोय का चूर्ण, आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण तथा एक चम्मच शहद- तीनों को मिलाकर लें।
प्याज के रस में शहद मिलाकर चाटने से भी हिचकी बंद हो जाती है।
पानी में 4 बूंद अमृतधारा या 2 बूंद अर्क पुदीना डालकर सेवन करें।
नाक में 2 बूंद प्याज का रस डालने से हिचकी रुक जाती है ।
गन्ना चूसने या गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
आधा चम्मच हिंग्वष्टक चूर्ण ताजे पानी से लेने पर हिचकी शान्त हो जाती है।
दही की लस्सी या छाछ पीने से हिचकी दूर होती है।
लाल या सफेद इलायची के दाने मुख में रखकर चूसने से हिचकी बंद हो जाती है।
तुलसी का रस एक चम्मच तथा शहद एक चम्मच- दोनों मिलाकर सेवन करें।
प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा हिचकी आने के इलाज
- पानी गरम करके रोगी को पिलाएं।
- गले में गीली मिट्टी की पट्टी बांधें।
- पेट पर गीली मिट्टी का लेप लगाएं। ऊपर से पट्टी बांधें।
- कटि स्नान करते समय 10 मिनट तक पेट पर धीरे-धीरे पानी की मालिश करें।
हिचकी आने के होमियोपैथिक इलाज
खानपान के बाद हिचकी, खट्टी डकार के साथ हिचकी तथा गले में कुछ अटक जाने से हिचकी- इन लक्षणों में इग्नेशिया का सेवन करें।
हिचकी आने पर पेट में भारीपन, जलन, बेचैनी आदि लक्षणों में काक्सिनेला का प्रयोग करें।
निरन्तर हिचकी आने पर कॉलि ब्रोम दें।
पेट में वायु (गैस) या किसी अन्य व्याधि के कारण हिचकी आने पर पल्सेटिला लें।
कुछ खाने के बाद डकारें तथा हिचकी, पानी पीने के बाद हिचकी-इन लक्षणों में फॉस्फोरस दें।
तेज हिचकी, सम्पूर्ण शरीर में कम्पन, बार-बार हिचकी, वमन की इच्छा आदि होने पर बेलाडोना लें।
यदि बार-बार हिचकी तथा पेट में गैस की शिकायत हो तो रैटान्हिया दें।
रुक-रुककर हिचकी आने पर एमोन म्यूर देना चाहिए।
हिलने-डुलने पर हिचकी बढ़ जाए, खांसी, बेचैनी, दम घुटे, अफरा आदि लक्षणों में कार्बोवेज दें।
लगातार हिचकी, प्यास तथा जी मिचलाए आदि लक्षणों में स्टेफिसेग्रिया लें।
हिचकी के कारण डायफ्राम में सिकुड़न, खानपान में कमी, पेट में दर्द, ठंडा पानी पीने से हिचकी प्रारम्भ आदि लक्षणों में नक्स वोमिका का सेवन करें।
एसाफोटिडा 2 या 3 भी हिचकी की प्रसिद्ध दवा है। इसका प्रयोग हर प्रकार की हिचकी में होता है।
हिचकी आने के बायोकैमिक इलाज
हिचकी न रुकने पर कैल्केरिया सल्फ दें।
पेट में गड़बड़ी, बेचैनी, तेज मिर्च-मसाले आदि के कारण हिचकी, अधिक भोजन के कारण हिचकी आदि लक्षणों में मैगनेशिया फॉस 3x या 6x का उपयोग करें।
यदि शराब या कोई नशीली चीज लेने से हिचकी आए तो नैट्रम म्यूर 6x दें।
इन दवाओं में से कोई भी एक दवा हिचकी में दी जा सकती है-कैल्केरिया फ्लोर 3x, नैट्रम फॉस 3x, फेरम फॉस 12x अथवा साइलीशिया 12x |
चुम्बक चिकित्सा द्वारा हिचकी के इलाज
हिचकी आते ही चुम्बक द्वारा प्रभावित जल चम्मच से गले में डालें।
हथेली के मूल तथा कलाई के बीच में छोटे चुम्बक का उत्तरी ध्रुव 5 मिनट तक लगाएं।
गरदन के पीछे दोनों तरफ तथा पीठ के जोड़ से कुछ ऊपर चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लगाएं।
गरदन पर चुम्बक द्वारा प्रभावित तेल की हल्की मालिश करें।
हिचकी की अंग्रेजी दवा
- जिन्टल (Zintal),
- रयूटैक (Rautac),
- डाइजीन (Digene)
- सिस्प्रो (Cispro) टैबलेट
चिकित्सक के परामर्श से सेवन कर सकते हैं।